मप्र में मानसून सत्र- आदिवासी दिन पर अवकाश नहीं होने से कांग्रेसियों ने किया बवाल

मध्यप्रदेश में विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार को शुरू हो गया है। पहले दिन कांग्रेस के आदिवासी विधायकों ने परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने बैठकर धरना-प्रदर्शन किया। पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस विधायक कांतिलाल भूरिया का आरोप है कि सरकार ने आदिवासियों का अपमान किया है जबकि कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने 9 अगस्त को अlवकाश घोषित किया था

4 दिन चलने वाले इस सत्र में ग्वालियर-चंबल संभाग में आई बाढ़ पर चर्चा हो सकती है। विपक्ष चाहता है, आपात स्थिति मानते हुए इस मुद्दे पर बहस के लिए ज्यादा से ज्यादा समय निर्धारित किया जाए। रविवार को हुई सर्वदलीय बैठक में इस पर सहमति बन गई, सदन की कार्यवाही 12 अगस्त तक बिना अवरोध के संचालित हो, लेकिन बाढ़ पर चर्चा पर फैसला सोमवार को विधानसभा शुरू होने से ठीक पहले कार्यमंत्रणा समिति में होगा।

विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने सत्र की अधिसूचना जारी होने से अब तक विधानसभा सचिवालय में कुल 1184 प्रश्नों की सूचना प्राप्त हुई है। 236 ध्यानाकर्षण और 17 स्थगन प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। लोक महत्व के 8 मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। सत्र के दौरान सरकार की कोशिश मुख्य रूप से विधेयक और अनुपूरक बजट पारित कराने की रहेगी। बताया जा रहा है कि अनुपूरक बजट 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का होगा। सरकार इसमें बाढ़ से हुए नुकसान के प्रारंभिक आंकलन के आधार पर राशि का प्रावधान भी कर सकती है।

जहरीली शराब से मौतों का मुद्दा भी उठाएगी कांग्रेस

इससे पहले कांग्रेस विधायक दल की बैठक रविवार देर शाम को आयोजित की गई। इसमें विधानसभा सत्र में उठाए जाने वाले मुद्दों पर चर्चा हुई। बताया जा रहा है कि महंगाई, जहरीली शराब, कानून व्यवस्था जैसे मामलों को कांग्रेस सदन में उठाकर सरकार से जवाब मांगेगी। मुद्दों को उठाने के लिए पूर्व मंत्रियों को जिम्मेदारी दी गई है।

बैठक में कमलनाथ ने कहा, सरकार ने विधानसभा का सत्र जानबूझकर कम समय के लिए बुलाया है। सरकार जनहित के मुद्दों पर चर्चा करने से बचना चाहती है, लेकिन सारे मुद्दों को इसी सत्र में उठाएंगे। यदि सरकार ने विपक्ष की बात नहीं सुनी, तो सड़क पर उतरेंगे।

सत्र की अवधि ‘ऊंट के मुंह में जीरा’ के समान : प्रजापति

कांग्रेस ने सत्र बढ़ाने की मांग की। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और कांग्रेस विधायक एनपी प्रजापति ने कहा कि इस सत्र की अवधि ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। सरकार मुद्दों को लेकर बचना चाहती है। बढ़ती महंगाई, बाढ़ से तबाही, कोरोना के बीच लचर स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर विपक्ष की आवाज सदन में न उठ पाए, इसलिए छोटा सत्र बुलाया गया है। सरकार डरकर बचते हुए निकलना चाहती है।

कांग्रेस का काम सुर्खियां बटोरना

बीजेपी विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने कहा कि मानसून सत्र छोटा ही होता है। कांग्रेस के पास सड़क पर समर्थन नहीं, तो विधानसभा में मीडिया की मौजूदगी में हल्ला करके सुर्खियां बटोरना चाहती है। विपक्ष के हर सवाल का जवाब देने के लिए सरकार तैयार है।

बिना टीकाकरण सदन में नहीं मिलेगा प्रवेश

कोरोना संकट को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि सचिवालय परिसर में सामूहिक रूप से एकत्र न हों और मास्क लगाकर ही परिसर में प्रवेश करें। कोविड-19 से बचाव के लिए प्रवेश पूर्व टीकाकरण भी अनिवार्य रहेगा। टीकाकरण के बिना सदन में प्रवेश नहीं मिलेगा। अध्यक्षीय दीर्घा सहित सभी में प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। विधानसभा भवन स्थित सेंट्रल हॉल में सोमवार को बांस पर आधारित उत्पादों की प्रदर्शनी का शुभारंभ विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री द्वारा किया जाएगा।

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